अमृतसर समाचार: डॉक्टर की लापरवाही ने ली एक जान
अमृतसर मामला:
दृष्टि अस्पताल, दुकान नंबर 9, रोड नंबर 4, हरिपुरा मेन रोड दायम गंज अमृतसर से लापरवाही के कारण एक मरीज की मौत का मामला सामने आया है। मामला पुलिस थाना गेट हकीमां अमृतसर के पास है
क्या था मामला?
मरीज का नाम लक्ष्मी उम्र 35 साल दिनांक 16-03-2025 को दृष्टि अस्पताल में भर्ती हुई थी और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उसे कहा गया था कि उसे गर्भाशय में फाइब्रॉएड का एक छोटा सा ऑपरेशन करवाना है जहां उसे 2 दिनों में छुट्टी दे दी जाएगी
पैसो का इंतजाम गहने बेच कर
जब वह भर्ती हुई तो उसे अस्पताल में पैसे जमा करने के लिए कहा गया और चूंकि लक्ष्मी गरीब परिवार से थी, उसने फीस जमा करने के लिए अपने गहने बेच दिए। हॉस्पिटल ने जब जब पैसे पैसे मांगे परिवार वालो ने जमा करवा दिए दो दिन का बोल के हस्पताल वालो ने ३ दिन तक अपना बिल बनाना जारी रखा और फिर जाकर ऑपरेट किया इस बिल को भरने के लिए भी लक्ष्मी के परिवार वालो ने पैसे उधार लिए
ऑपरेशन के बाद
तीसरे दिन उसका ऑपरेशन हुआ जहां इन तीन दिनों के दौरान सब कुछ सामान्य था लेकिन ऑपरेशन के बाद वह रोने लगी और योनि से खून बहने लगा और स्थिति बद से भी बदतर हो गई और जब उसके रिश्तेदारों ने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है तो उन्होंने कहा कि यह सामान्य है और वह जल्द ही ठीक हो जाएगी।
जब भी सवाल पूछा गया तो अस्पताल के कर्मचारियों ने जवाब दिया कि यह सामान्य है और 21 मार्च को उन्होंने उसके रिश्तेदारों को सूचित किया है कि उन्हें मरीज को अन्य अस्पताल में रेफर करना होगा क्योंकि उन्हें नहीं पता कि क्या हो रहा है और उसकी हालत को स्थिर कैसे किया जाए।
डॉक्टर ने रिश्तेदारों से मिलने से इनकार कर दिया जब मरीज के रिश्तेदारों ने स्टाफ को डॉक्टर से मिलने के लिए कहा, तो उन्होंने अगर-मगर करना शुरू कर दिया और डॉक्टर आरपी सिंह या वरिष्ठ डॉक्टरों ने रिश्तेदारों से मिलने से इनकार कर दिया।
कई बार डॉक्टर के पास जाने के बाद उसके रिश्तेदारों ने अपना आपा खो दिया तो सारा स्टाफ अस्पताल से भाग गया। दूसरी ओर जब ब्रेकिंगबडी ने डॉक्टर पृथ्वी से बात की, तो उन्होंने उल्लेख किया कि मरीज कुछ दवाओं का आदी था, जिसके कारण ऐसा हुआ और उन्होंने मरीज के रक्त की जांच करने का अनुरोध किया।
अब सवाल यह है कि
1) अगर मरीज नशे का आदी था तो ऑपरेशन से पहले जांच रिपोर्ट में यह बात क्यों नहीं आई
2) सर्जरी से पहले मेडिकल विशेषज्ञों ने इस बात को क्यों नहीं उजागर किया क्या डॉक्टर अपनी गलती को छुपाने के लिए ड्रग का इल्जाम तो नहीं लगा रहे
3) जब स्थिति बहुत खराब हो गई तो उसके रिश्तेदारों को क्यों नहीं बताया गया
4) जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई तो उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करने के लिए क्यों कहा गया।
क्या गलत था?
1) डॉक्टर रिश्तेदारों से मिलने से बच रहे थे
2) हॉस्पिटल को समय पर मरीज को रेफर करना चाहिए था
वर्तमान स्थिति
आखिरकार लक्ष्मी दुनिया को अलविदा कह गई, उसके आखिरी पल बहुत दर्दनाक थे और वह अपने पीछे अपने दो बच्चों को रोता हुआ छोड़ गई। उसकी अनुपस्थिति में उनका ख्याल कौन रखेगा?
ऐसे डॉक्टरों का क्या होना चाहिए जो जानकारी के अभाव में अपने मरीजों की जान से खेलते हैं। ऐसे लोगों को हर गली-मोहल्ले में अस्पताल खोलने की अनुमति कौन दे रहा है? ऐसे मामलों में विभाग/सरकार इतनी नरम क्यों है?
आखिर में सरकार को तथ्यों की जांच करनी चाहिए और अगर डॉक्टर/अस्पताल दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
कृपया आप इस पोस्ट को हर उस आम इंसान तक पहुंचाइये ताकि फिर से कोई लक्ष्मी अपना हस्ता खेलता परिवार छोड़ के न जा सके और उसे इन्साफ मिल सके
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